गुरुवार 8 मई 2025 - 10:21
क़यामत के दिन उलेमा का दर्जा

हौज़ा / हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने एक रिवायत में क़यामत के दिन उलेमा के दर्जा को बयान फरमाया है।

हौज़ा न्यूज़ एजेंसी के अनुसार , इस रिवायत को "बिहारूल अनवार ,,पुस्तक से लिया गया है। इस रिवायत का पाठ इस प्रकार है:

:قال رسول الله صلی الله علیه وآله وسلم

«ثَلاثَةٌ يَشْفَعُونَ إِلَى اللّٰهِ يَوْمَ القِيامَةِ فَيُشَفَّعُهُم: الأَنْبِيَاءُ، ثُمَّ العُلَمَاءُ، ثُمَّ الشُّهَدَاءُ».

हज़रत रसूल अल्लाह स.ल.व.व. ने फरमाया:

क़यामत के दिन तीन वर्ग ऐसे होंगे जो अल्लाह के दरबार में शफ़ाअत (सिफ़ारिश) करेंगे, और उनकी शफ़ाअत कबूल की जाएगी:

अंबिया (पैग़म्बर)

उलमा (धार्मिक विद्वान)

शहीद (जो अल्लाह की राह में जान क़ुर्बान करें)

यह हदीस शरीफ़ उलमा की महानता और क़यामत के दिन उनके शफ़ाअत के ऊँचे दर्जे को उजागर करती है। अंबिया के बाद दूसरा स्थान उलेमा को दिया गया है, जो इस बात की दलील है कि दीन की हिफाज़त, प्रचार और उम्मत की रहनुमाई में उलमा का किरदार कितना ऊँचा और अहम है।

बिहारूल अनवार,भाग 2,पेज 15

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